प्राइमरी शिक्षक बनने के नियमों में बड़ा बदलाव : अब बीएड की नहीं, ITEP की होगी जरूरत

हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, प्राइमरी शिक्षक बनने की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव हुआ है। अब बीएड (Bachelor of Education) की डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों के लिए एक झटका साबित हुआ है, क्योंकि प्राइमरी शिक्षक पदों पर आवेदन करने के लिए अब बीएड डिग्री मान्य नहीं होगी।

 

इस फैसले ने उन छात्रों के लिए एक नई राह बनाई है जो 12वीं के बाद सीधे शिक्षक बनने की तैयारी करना चाहते हैं। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने इस बदलाव के तहत एक नया चार वर्षीय कोर्स लॉन्च किया है जिसे इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) कहा जाता है। अब, प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए इस कोर्स को पूरा करना अनिवार्य होगा।

ITEP: क्या है और क्यों है जरूरी?

ITEP (Integrated Teacher Education Program) एक चार वर्षीय कोर्स है जो छात्रों को 12वीं के तुरंत बाद प्रवेश प्रदान करता है। इस कोर्स को पूरा करने पर, छात्रों को दोहरी डिग्री प्राप्त होती है—एक स्नातक की डिग्री (जैसे बीए, बीएससी या बीकॉम) और दूसरी शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री (बीएड)।

NCTE ने ITEP को विशेष रूप से इस उद्देश्य से डिजाइन किया है कि छात्रों को स्नातक की शिक्षा के साथ-साथ शिक्षक प्रशिक्षण एक ही कोर्स में मिले। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जब तक छात्र स्नातक होते हैं, उनके पास उच्च गुणवत्ता की टीचिंग स्किल्स भी होती हैं, जो उन्हें प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए पूरी तरह से तैयार करती हैं।

ITEP के लिए प्रवेश प्रक्रिया

इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए हर साल एक प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा में प्राप्त रैंक के आधार पर छात्रों को देशभर के विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिया जाएगा।

ITEP के अंतर्गत तीन प्रमुख डिग्री प्रोग्राम उपलब्ध हैं:

  1. बीएससी-बीएड (B.Sc.-B.Ed.)
  2. बीए-बीएड (B.A.-B.Ed.)
  3. बीकॉम-बीएड (B.Com.-B.Ed.)

यह सभी कोर्स चार वर्ष में पूर्ण होते हैं और छात्रों को स्नातक के साथ-साथ शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री भी प्रदान करते हैं।

नई शिक्षा नीति का प्रभाव

यह नया बदलाव सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत लाया गया है। अब केवल वे ही छात्र प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर पाएंगे जिन्होंने ITEP कोर्स पूरा किया हो। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी शिक्षक न केवल अपने विषय में विशेषज्ञ हों बल्कि उनके पास प्रभावी शिक्षण कौशल भी हो, ताकि वे छात्रों को बेहतर शिक्षा दे सकें।

क्यों हुआ यह बदलाव?

बीएड की डिग्री के बजाय ITEP को अनिवार्य बनाने का उद्देश्य यह है कि टीचिंग के पेशे में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों को शामिल किया जा सके। पारंपरिक बीएड कोर्स में केवल शिक्षक प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाता था, जबकि ITEP कोर्स में विषयों का गहन अध्ययन और शिक्षक प्रशिक्षण दोनों का समावेश है। यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षक न केवल शिक्षा के तकनीकी पहलुओं में पारंगत हों, बल्कि वे अपने विषयों की गहरी समझ भी रखते हों।

क्या हैं इसके लाभ?

  1. समय की बचत: अब छात्रों को अलग से बीएड करने की आवश्यकता नहीं होगी। वे चार साल में ही स्नातक की डिग्री और शिक्षक प्रशिक्षण दोनों प्राप्त कर सकते हैं।
  2. बेहतर प्रशिक्षण: ITEP कोर्स में छात्रों को एक समग्र शिक्षक प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वे शिक्षण कौशल और अपने विषय दोनों में माहिर बन सकें।
  3. प्रतिस्पर्धात्मक तैयारी: ITEP के बाद छात्रों को सीधे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में टीचर पद के लिए आवेदन करने का मौका मिलेगा, जिससे उनके करियर की शुरुआत जल्दी हो सकेगी।

कहां से करें ITEP?

इस कोर्स को फिलहाल कुछ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। आने वाले वर्षों में इसे और व्यापक रूप से लागू किया जाएगा। इससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षक शिक्षा प्राप्त होगी और वे एक कुशल शिक्षक के रूप में अपना करियर बना सकेंगे।

निष्कर्ष

अगर आप प्राइमरी शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह समय आपके लिए सही अवसर लेकर आया है। अब 12वीं के बाद सीधे ITEP में प्रवेश लेकर आप अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। बीएड के झंझट से छुटकारा पाकर, एक ही कोर्स में स्नातक की डिग्री और शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर, आप एक योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक बनने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

शिक्षक बनने का सपना अब और भी आसान हो गया है !

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